Friday, 13 January 2017

10 things every MBA aspirant in India should keep in mind

10 things every MBA aspirant in India should keep in mind

Harendra SinghJAN 12, 2017, 05.07 PM


It goes without saying that the popularity of an MBA as a preferred post-graduate degree is unprecedented, with more and more students slogging it out giving numerous exams in the hope of joining an elite B-school and landing a cushy job. 

Incase, you're one of the lucky one about to start an MBA, we have some advise. Pause for five minutes and read this. Remember, an MBA degree would be useless if you don't make the most of it. On the other hand, don't let the course rule your life. 

To help you, we dug up this post by Quora user Deepak Mehta, who went to IIM-Ahmedabad himself. Mehta addresses some key things every MBA student should keep in mind lest they don't have any regrets later. Mehta has divided his ten tips in two sections each- Pre-MBA and during MBA. 

Read on: 


Things you should keep in mind pre-MBA 

1. Have a realistic view of the current job scenario: 
Today is not the best time to do an MBA. The market is already flooded with thousands of us. Plus, the whole Euro crisis is still lingering and particularly the investment bank scenario doesn't look really good. 

Growth is still slow. i-Banks are not hiring currently. And even if the entire economic downturn was to completely go away (for example, by magic), they still wouldn't. The reason being that during the boom and just before the bust, they over-hired. 

2. Keep a check on expectations: 
It's just another degree. Yes, they do teach you a lot of stuff in 2 years, but that's it. There is nothing magical about the course. It's just that currently the MBA degree is in hype, so you will get he perceived benefit of it. But do not expect that the course will make you the perfect manager or a suave entrepreneur. 

3. The news are crap: 
You know, the ones that your family and relatives rub your nose in once every year? The one that glorify a bunch of young, clueless people for having a 2 crore package? It's all crap. No one gets a 2 crore package. The highest you get in India would be Rs 40-45 lakh pa. And that too for i-Banks which are not hiring currently. Anything else would be a maximum of Rs 30lakh pa. And this too would be raked in by the top 5% of the batch. International salaries seem pretty high in absolute terms, but do remember to also factor in the PPP index to get a more realistic view. 

4. Be ready to slog it out: 
The MBA will be far more hectic than your undergrad. This is true irrespective of the college. So be ready for sleepless nights, multiple simultaneous deadlines, a few failures and stressful times.Also, there will be a lot of people far more intelligent, hard-working than you. So be ready to face really tough competition. 

5. If you have time, develop your resume: 
Admission is just the beginning. There's an entire trilogy after that - summer placements, final placements and then finally long-term job satisfaction.For the first two, you will need a stellar CV in order to maximize your chances of landing your dream job. So, utilize all the time you have now. Pep up your resume. Start reading up about economics and finance. There's literally thousands of resources - free e-books, blogs, courses, certifications on the internet. 

Things you should keep in mind during the MBA 

1. Academics: 
Make the most of what you get during these 2 years. Attend all classes. Read as much as you can.Work smart. Exams aren't the perfect measure of ability and intelligence. However, they are the norm and you have to deal with it. So game the system. Go through previous years' papers. Know the most crucial and oft-asked concepts. Research about the type of questions that are asked for various subjects - case studies, MCQs, theory, calculation-intensive. Customize your prep plan accordingly. 

2. Co-curriculars: 
Make sure you have a decently diversified resume. Participate in case study competitions, B-plans, paper presentations. The exposure will be a really intense learning experience. 

3. Clubs: 
Follow the golden rule: Be part of 3 clubs - one that will help you with the placements, one that is in line with your interests and will help you hone your skills, one for fun.Do not overload yourself. Know when to say "no" or to walk away. People usually take on more responsibilities than they can manage. Don't do it. 

4. Having fun: 
As goes with everything, do not let one part of your life dominate the others. Hang out with friends, get drunk, go out on unplanned excursions, say yes to that late night movie even though you are extremely tired. Friends are always good to have. Make sure you have a few to last you more than 2 years. 

5. The dreaded social media : 
When you are a student, it is fine to have an archaic LinkedIn profile or a Facebook feed filled with stupid stuff teens do. However, recruiters nowadays actively scourge the social media profiles of potential candidates. So clean up your act, especially before placements. Do not let something as random as a stupid website ruin your chances.

Wednesday, 23 November 2016

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चमोली उत्तराखंड

चमोली

सुरेश प्रभु गुरुवार को करेंगे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का शिलान्यास

सुरेश प्रभु गुरुवार को करेंगे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का शिलान्यास

सुरेश प्रभु गुरुवार को करेंगे ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का शिलान्यास
गुरुवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का शिलान्यास करेंगे। इस दौरान वह काशीपुर-हल्द्वानी रेल लाइन के विस्तारीकरण की शुरुआत भी करेंगे।
गैरसैंण (चमोली), [जेएनएन]: बहुप्रतीक्षित ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का सपना अब धरातल पर उतरेगा। गुरुवार को रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल लाइन का शिलान्यास करेंगे। इस दौरान वह काशीपुर-हल्द्वानी रेल लाइन के विस्तारीकरण की शुरुआत भी करेंगे। रेल मंत्री के गैरसैंण आगमन को लेकर भाजपाइयों में खासा उत्साह है। सुरेश प्रभु यहां भाजपा की परिवर्तन यात्रा में भी भाग लेंगे।
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 126 किलोमीटर लंबी ब्रॉड गेज लाइन में दस स्टेशन होंगे। इसके साथ ही रास्ते में 15 सुरंग और 15 पुल होंगे। इनमें सबसे बड़ी सुरंग 15 किमी और सबसे छोटी तीन किमी लंबी होगी। पहले चरण के लिए केंद्र सरकार 16 हजार दो सौ करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दे चुकी है।
गैरसैंण की उप जिलाधिकारी स्मृति परमार ने बताया कि तैयारियों के लिए मुरादाबाद रेल वृत्त के अधिशासी अभियंता (निर्माण) ललित सचदेवा गैरसैंण पहुंच गए हैं। गैरसैंण में आयोजित कार्यक्रम में रेल मंत्री हरिद्वार-लक्सर के दोहरीकरण, हरिद्वार-देहरादून लाइन के विद्युतीकरण, मुरादाबाद रेल मंडल के आठ अंडरपास, हरिद्वार व देहरादून में स्वचलित सीढ़ी तथा लिफ्ट का लोकार्पण व शिलान्यास भी करेंगे।
दूसरी ओर, सुरेश प्रभु के दौरे को देखते हुए भाजपाई परिवर्तन रैली को सफल बनाने की तैयारियों में जुट गए हैं। मुख्य समारोह राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित किया जाएगा। रैली के लिए भाजपाई गांव-गांव जाकर जनसंपर्क में जुटे हुए हैं।
See more at: http://gyaan-kendra.blogspot.in/  कर्णप्रयाग रेल लाइन को 16 हजार 200 करोड़ की मंजूरी

Wednesday, 28 September 2016

उत्‍तराखंड में भी है कोणार्क, जानने को क्लिक करें

उत्‍तराखंड में भी है कोणार्क, जानने को क्लिक करें


उत्‍तराखंड में भी है कोणार्क, जानने को क्लिक करेंउत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा जनपद में कटारमल का सूर्य मंदिर स्थित है। इसका निर्माण राजा कटारमल्ल देव ने 1080-90 ई में कराया था। यह मंदिर वास्‍तुकला का अद्भुत नमूना है।
 उत्तराखंड में सूर्य मंदिर। आपका दिमाग कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में सोच रहा है। लेकिन जनाब, उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में भी सूर्य भगवान का मंदिर स्थित है। यह मंदिर नौ सौ साल पुराना है। यह अपने में गौरवशाली इतिहास समेटे हुए हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

कटारमल सूर्य मंदिर का इतिहास
ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद कटारमल सूर्य मंदिर सूर्य भगवान को समिर्पत देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। अल्मोड़ा शहर से 17 किमी दूर स्थित यह मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। मंदिर का परिसर 900 साल पुराना है, जबकि मुख्य मंदिर छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। हालांकि, यह प्राचीन तीर्थ स्थल आज एक खंडर में तब्दील हो चुका है, बावजूद इसके यह अल्मोड़ा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। इस मंदिर का निर्माण राजा कटारमल्ल देव ने 1080-90 ई में कराया था। यह बड़ादित्य के नाम के मंदिर से मशहूर है।


मंदिर में बूटधारी सूर्य की है प्रमुख मूर्ति 
मन्दिर में प्रमुख मूर्ति बूटधारी आदित्य (सूर्य) की है, जिसकी आराधना शक जाति में विशेष रूप से की जाती है। इन मंदिरों में सूर्य की दो मूर्तियों के अलावा विष्णु, शिव, गणेश की प्रतिमायें हैं। मंदिर के द्वार पर एक पुरुष की धातु मुर्ति भी है। कहते हैं कि यहां पर समस्त हिमालय के देवतागण एकत्र होकर पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर में एक मूर्ति में सूर्य पद्मासन लगाकर बैठे हुए हैं। यह मूर्ति एक मीटर से अधिक लंबी और पौन मीटर चौड़ी भूरे रंग के पत्थर में बनाई गई है। यह मूर्ती 12वीं शताब्दी की बतायी जाती है। कोणार्क के सूर्य मंदिर के बाहर जो झलक है, वह कटारमल मन्दिर में आंशिक रूप में दिखाई देती है। मंदिर की दीवार पर तीन पंक्तियों वाला शिलालेख है, जो अब अपाठ्य हो गया है।

45 छोटे-छोटे मंदिरों से घिरा हैं मंदिर 
यहां पर विभिन्न समूहों में बसे छोटे-छोटे मंदिरों के 45 समूह हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण अलग-अलग समय में हुआ माना जाता है। वास्तुकला की विशेषताओं और खंभों पर लिखे शिलालेखों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 13वीं शती में हुआ माना जाता है। सूर्य मंदिर भवन में श्रद्धालु शिव-पार्वती और लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमाएं देख सकते हैं। मंदिर अपने आप में वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है और यहां की दीवारों पर बेहद जटिल नक्काशी की गई है।


सूर्य की पहली किरण पड़ती हैं शिवलिंग पर 
समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का सामने वाला हिस्सा पूर्व की ओर है। इसका निर्माण इस प्रकार करवाया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर में रखे शिवलिंग पर पड़ती है। मंदिर की दीवार पत्थरों से बनी है।

यहां से चोरी हो गई थी देवी की मूर्ति
सूर्य मंदिर में लकड़ी का दरवाजे इनकी सुंदरता में और भी इजाफा कर देते हैं। 10वीं शताब्दी में यहां से देवी की मूर्ति चोरी हो गई थी। इसे देखते हुए मंदिर के नक्काशीयुक्त दरवाजे और चौखट को दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में रख दिया गया था।


ऐसे पहुंचे मंदिर तक
अल्मोड़ा-कौसानी मोटर मार्ग पर कोसी से ऊपर की ओर कटारमल गांव है और वहां पर सूर्य मंदिर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से रानीखेत मोटरमार्ग के रास्ते से जाना होता है। अल्मोड़ा से 14 किमी जाने के बाद 3 किमी पैदल चलना पड़ता है।

नर्वसाते बहुत हैं? कॉन्फिडेंस कम है? किसी गधे का साथ कर लो

नर्वसाते बहुत हैं? कॉन्फिडेंस कम है? किसी गधे का साथ कर लो


दुनिया के सभी गधों के लिए.


‘गधा’ शब्द सुनते ही दिमाग में सीधे एक ही चीज़ आती है: बेवकूफी. गधा मतलब कोई बेदिमाग प्राणी, जो सोचता-समझता कम हो. काम करना, खाना और सो जाना. बस गधे के यही तीन काम हैं.
गधा उल्टा जवाब नहीं देता. चाहे मारो, चाहे पीटो. लेकिन ढीठ गधा हिलेगा नहीं.
लगभग सभी भाषाओं में गधों के ऊपर कहावतें हैं.
कहने से कभी कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता
ऐसे गए जैसे गधे के सिर से सींग.
बटेउ की तरह कमाओ, गधे की तरह खाओ.
जब खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान.
तू तो गधी कुम्हार की, तुझे राम से क्या काम.
याद है, ओमकारा पिच्चर में सैफ अली खान बोलता है, ‘सही कह रिया है तू रज्जो, तेरी और मेरी किस्मत गधे के लिंग से लिखी गई है.’ 
मुंशी प्रेमचंद ने ‘दो बैलों की कथा’ में गधे की तारीफ़ की है. मुंशी जी कहते हैं कि शरीफ समझी जाने वाली गाय जब ब्याही होती है तो शेरनी बन जाती है. कुत्ता जितना वफादार होता है उतना ही गुस्सा भी करता है. लेकिन गधा है एकदम सीधा, शरीफ. उसको न लालच है, न गुस्सा है, न सुख-दुःख की चिंता. हर सिचुएशन में एक जैसा रहता है. ऐसे गुण तो ऋषि-मुनियों के पास होते हैं. और कमाल की बात है कि ऋषि-मुनियों के गुण रखने वाले इस जानवर को बेवकूफ कहा दिया गया. गधे को बेवकूफ कहना तो इन सद्गुणों की बेइज्जती करने जैसा है.
Source : Reuters
गधे ने हर भाषा, हर कल्चर में अपनी अटेंडेंस लगवाई है. लोदी वंश, जो दिल्ली सल्तनत पर शासन करने वाले वंशों में से एक था. इस वंश के संस्थापक बहलोल लोदी के पिताजी गधों के ही व्यापारी थे. ‘अज्ञेय’ ने भी अपनी कविताओं में गधों की चर्चा की है. मुल्ला नसीरुद्दीन ने कितने ही बड़े पद पाए, लेकिन सवारी उन्होंने सिर्फ गधे की ही की. स्कॉटिश लेखक रॉबर्ट लुइ स्टीवेंसन ने एक गधे पर बैठकर पूरा यूरोप घूमा. फेमस फोटोग्राफर रघु राय की पहली तस्वीर एक गधे की थी. कृश्न चन्दर ने तो गधे के ऊपर एक किताब लिखी थी एक गधे की आत्म कथा.

इसीलिए गधों के बारे में डिटेल में बात होनी चाहिए. बात होनी चाहिए उनके पेशेंस की, उनकी मेहनत की, उनकी शांतिप्रिय नेचर की. गधा, जो इंसानों से भी समझदार है, उसे हम बेवकूफ क्यों कहते हैं? गधों की समझदारी जानना जरूरी है. इसलिए सबसे पहले हम गधों के बारे में मोटा-मोटी जान लें.
1. गधा पांच हजार सालों से इंसानों के लिए बोझा ढो रहा है.

2. दुनिया में करीब चार करोड़ गधे हैं.

3. गधों की लगभग 189 नस्लें हैं. (द डोमेस्टिक एनिमल डाइवर्सिटी इनफॉर्मेशन सिस्टम के सर्वे के हिसाब से )

4. सबसे ज्यादा गधे चाइना में हैं.

5. गधों की मेमोरी बड़ी तेज होती है. वो जिस रास्ते को एक बार देख लें, उसे पच्चीस साल तक नहीं भूलते.

6. एक गधा चालीस से पचास साल तक जिन्दा रहता है.

7. नर्वस घोड़ों को गधों के साथ रखा जाता है, क्योंकि गधों के पास “यो ब्रो, चिल्ल “ का एक इफेक्ट होता है जिससे घोड़े शांत हो जाते हैं.

8. वैसे तो गधों को अकेले रहना पसंद नहीं है, लेकिन एक ‘सिंगल’ गधा बकरियों के बीच रहकर बड़ा खुश होता है.

9. गधी का दूध बीमार बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होता है. गधी के दूध में गाय के दूध से ज्यादा प्रोटीन और शुगर होता है. लेकिन फैट कम.

10. ब्रिटेन में 2005 के बाद से ट्रैवलिंग गधों के लिए भी पासपोर्ट जरूरी कर दिया गया.


ये थे कुछ फैक्ट्स, लेकिन गधे के बारे में दुनियाभर में क्या है, वो भी पढ़िए:

गधों पर चली बहस

एक यूनिवर्सिटी में दो दिन की कॉन्फ्रेस चली. कॉन्फ्रेंस का टॉपिक था: सदियों से चली आ रही गधों और खच्चरों को बुरे तरीके से दिखाना. गधों के बारे में फैलाई गई गलत बातें. कांफ्रेंस में गधों के हितों पर चर्चाएं हुई. कहा गया कि गधों की कोई अलग आइडेंटिटी नहीं बताई जाती. हमेशा घोड़ों से तुलना करके गधे को नीचा दिखाने की साजिशें की गई हैं. जबकि घोड़ा, घोड़े की जगह है. और गधा अपनी जगह.

वेस्टर्न साहित्य के फेमस गधे

हिंदी कवियों ने तो गधे पर लिखा है ही, पर वेस्टर्न सोसाइटीज भी पीछे नहीं हैं. बाइबिल में सौ बार गधों का नाम मेंशन है. एक स्टोरी है जिसमें जीसस क्राइस्ट गधे पर बैठ कर जेरुसालेम पहुंचते हैं. जेरुसालेम क्रिस्चियन लोगों की एक धार्मिक जगह है जिसे भगवान की धरती कहते हैं. गधे को शांति, बुद्धिमानी का प्रतीक माना गया. विलियम वर्ड्सवर्थ ने भी अपनी कविता पीटर बेल में गधे को क्रिस्चियन सिंबल बताया है. न मालूम हो तो बता दें कि विन्नी द पूह का ईयोर नाम का गधा वेस्टर्न लिटरेचर का सबसे फेमस गधा है. जॉर्ज ओरवेल की किताब “एनिमल फार्म” में बेंजामिन द डोंकी नाम का एक पात्र लिया है. इटैलियन की सबसे शानदार किताबों में से एक ‘डॉन क्विहोते’ में भी गधे की एक बड़ी भूमिका रही है.

राजनीति में डेमोक्रेसी का सिंबल बना गधा

ग्रीस में गधों को गॉड ऑफ वाइन से रिलेट किया जाता था. रोम में गधे को एक धार्मिक जानवर माना गया. 1828 में अमेरिका के एंड्रू जैक्सन ने अपने कैम्पेन में गधे प्रेसिडेंशियल पोस्टर्स के लिए चुना.  और गधा बना डेमोक्रेसी की पहचान . गधों से ही दुनिया के बहुत सारे हिस्सों में लोगों की जिंदगी चली. गधे रोटी-पानी, कपड़े पहुंचाने का काम करते रहें हैं. ‘सिल्क रोड ‘ के साथ-साथ पेसिफिक ओशन से सिल्क गधों पर लाद कर लाया गया.
Source: Reuters

गधे से सीखो ढीठ बनना

गधों के ढीठ होने के स्टीरियोटाइप के बारे में एक्सपर्ट्स का कुछ और ही कहना है. जिस चीज़ को हम ढीठपना कहते हैं वो असल में गधों के लिए आत्मसुरक्षा हैं. गधे पहले चीज़ को ध्यान से देखते हैं, समझते हैं, फैसला लेते हैं. अगर उनका फैसला इंसान से अलग हो जाए तो इंसान अपनी ओपिनियन गधों पर थोप देता है. लेकिन अगर एक बार उनको अपने मालिक पर ट्रस्ट हो जाए तो सबसे ज्यादा सपोर्ट दिखाते हैं. गधे अपनी मर्ज़ी का बड़ा सम्मान करते हैं. काम में इंटरेस्ट न  हो तो वो ढीठ बनना पसंद करते हैं. गधों की यह यूनीक चीज़ इंसानों को सीखनी चाहिए. जब मन ना हो तो इंजिनियरिंग नहीं करना चाहिए.

गधे मेहनत करना सिखाते हैं. गधे अपनी मर्ज़ी की इज्ज़त कैसे करनी चाहिए सिखाते हैं. गधे ढीठ बनना सिखाते हैं. गधे बेवकूफी नहीं, बल्कि जिंदगी जीने का एक तरीका सिखाते हैं.

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Published by Harendra Singh RawatJust now

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गुरू भूकंप तभी आता है जब सब सेट होता है

गुरू भूकंप तभी आता है जब सब सेट होता है


“देखो, कुछ चीजें बताना ना हमको बड़ा मुश्किल सा लगता है. आप यूं कुछ और पूछ लो. नदी वाला किस्सा सुन लो या बाबा की बेंत का… पर यार देखो ये उस वाली किसी सरिता का नाम ना लिया करो. हमारी ज़िन्दगी बढ़िया एकदम कटती रहती है और तुम यार दिन दो दिन में आ ही जाते हो गड़े मुर्दे उखाड़ने”
ये नीलेश है ना भाव खाता है थोड़ा. लगता इसे भी बड़ा अच्छा है कि मैं आ जाता हूं. इसके मुर्दे उखाड़ने जो इससे तो गड़ने से रहे. खैर, सर्दियों का मौसम है, बाहर झांकें खिड़की से तो शाम उतर आई है. साहब बैठे हैं कमरे में कम्बल में लिपटे हुए. बैठे हम भी उनके पास ही हैं पर जब किस्सा सुनने का होता है तब हम थोड़ा दूर बैठ जाते हैं, क्या है कि इससे इनको फील आ जाता है.
“यार देखो ये डायलॅाग ना, हम जब नए-नए थे ना तब बड़ा कचोटता था अब हम पक्के बेशर्म हो चुके हैं. तुम बस जल्दी से कथा शुरू करो.”
और हां, मेरा नाम बसंत है. नीलेश और मैं एक-दूसरे को कुछ वर्षों से जानते हैं . इन्हें कहने का शौक है और हमें सुनने का. उम्र दोनों की चालीस पार है, बाकी ज्यादा हमने पूछा नहीं.
“चलो सुन लो यार क्या तुम भी याद रखोगे, पर देखो चाय मत मांगना बीच में, भाभी बाजार गई है तुम्हारी और हमसे लाला बनती नहीं.”
“अरे सुनाओ भी अब!”
“हां तो बात ऐसी है उन दिनों हम ग्रेजुएशन कर रहे थे. मौसम वही तुम्हारे नाम वाला और बडी सुहानी सी शामें हुआ करती थीं उन दिनों. एग्ज़ाम खत्म हो गए थे और गांव से बुलावा भी आ गया था, पिताजी ने एक लड़की देख ली थी हमारे लिए. कुल मिलाकर ये मानो कि सब सेट था.”
“गुरू भूकंप तभी आता है जब सब सेट होता है.” मैं बीच में बोल पड़ा .
“यार या तो हम बोल लें या तुम ही सुना लो.”
“अच्छा सॉरी भैया चलो सुनाओ.”
“हां तो जैसा तुमने कहा भूकंप के बारे मैं, लेकिन देखो भूकंप से पहले बडी प्यारी सी शांति होती है.” बस वहीं हम गिर पडे.
ब्रीफ में सुनाएं तो हमें बडा मन चला कि यार गांव लौटने से पहले एक दफा शहर तरीके से घूम लिया जाए. हम रोज़ निकल लेते कहीं ना कहीं, एक शाम निकले गुरू तो हम वहीं छोड आये अपने आप को. हमें बडे अच्छे से याद है, वही सुहानी शाम और झरने का बहता कलकल पानी. किनारे बैठी वो सुंदर लड़की, बसंत तुम्हारी कसम हमने उसके आगे और कुछ नहीं देखा. बड़े आराम से हम बैठकर बहुत देर तक उसे देखते रहे बस देखते रहे.
और मुझे याद है एक बार उसने पीछे मुडकर भी देखा था…”
“पक्का?”
“हां लिख के दे दें, आए बड़े पक्का वाले.”
“अच्छा फिर आगे…”
“आगे क्या होना था यार हम फिर अगले दिन वहीं पहुंच गए , किस्मत देखो वो आज भी आई थी.”
फिर वही देखना-पलटना. बस ये समझो दूरी कम हो गई थी. कुछ दिनों बाद तो हम पास बैठने लगे थे, वो अपलक शून्य में निहारती रहती हमेशा, उसे शायद झरने में भी कुछ स्थिरता दिखती होगी, जब मेरी तरफ देखती तो कभी हल्के से मुस्कुरा देती .
एक दिन मैंने यूं ही कह दिया, “क्या आप रोज़ आती हैं यहां?”
गिने हुए दो सेकंड के मौन के बाद उसने कहा, “जैसे आपको पता ही ना हो…” और फिर हंस पडी.
तुम्हे पता है बसंत, दुनिया में बहुत कुछ महसूस होता है. तुम्हें क्या होता है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि तुम क्या होते हुए देखना चाहते हो और हर बीते पल में मैं उसे मेरे प्रेम में पड़ते हुए देखना चाहता था. इसके बाद हमने काफ़ी बातें की, बातें करते-करते मैं उसके करीब खिसक आया था.
उसे हमेशा से सब मालूम होता था. नाम सरिता था. शहर में ही पढ़ती थी, गहरे भूरे रंग की आंखे, घने बाल, तीखे नक्श. दुनिया की ऐसी कोई खूबसूरती ना होगी जिसने उसको ना छुआ हो .
जाते-जाते उसने पूछा क्या मैं कल आऊंगा. भला मैं ना क्यों करता. सारी रात मुझे अगले दिन का इंतज़ार रहा. दोपहर ना जाने कैसे-कैसे कटी पर आखिर में हम दोनों फिर वहीं बैठे थे. बातें होती रहीं और शामें गुजरती गईं. सरिता अच्छी लडकी थी, मुझे बहुत समझती थी. हमारा एक दूसरे के प्रति आकर्षण कब प्रेम में बदल गया पता ही नहीं चला.
मुझे उससे मिलकर लगा कि इस संसार में हर इंसान के लिये एक दूसरा इंसान है. जिसके साथ रहते हुए आपको तर्क की जरूरत नहीं रहती. शब्दों के पार जो भावनाएं होती हैं. उनके लिए वो पहले दिन भी उतनी ही महसूस होती हैं जितनी एक समय बाद. हमें बस पता होता है हम एक-दूसरे के लिए बने होते हैं.
ये कितना अच्छा है ना बसंत ?”
“हां”
मैंने कहा ‘वैसे कई बार ऐसा हुआ था, कुछ सुनने से पहले मुझे लगता रहता था कि नीलेश उतना गहरा व्यक्ति नहीं है. लेकिन कभी-कभी वो मुझसे कुछ ऐसा मत पूछ लेता जिसके बारे में शायद ही कभी मैंने सोचा हो.
“खैर सुनो, अब इस प्रेमपाश में हम एक बार को भूल गए कि हमको वापस गांव भी जाना है.”
एक दिन पिताजी का फोन आया तो बोले, बेटा घर आना है कि नहीं? अब हम क्या कहते. एग्ज़ाम तो खत्म हो चुकी थी, कोई बहाना भी नहीं था.
ऊपर से पिताजी ने दोहराया कि उन्होंने कोई लड़की भी देख रखी है. हमारा इंतज़ार किया जा रहा है घर पे. हमने ऐसे ही पूछ लिया लड़की का नाम क्या है
पिताजी बोले , ‘सरिता’ .
यार बसंत कभी-कभी दिल रुक सा जाता है ना बस वही समझ लो. अब ये तो कोई उम्मीद थी नहीं कि दोनो सरिता एक हो जाएं पर हमारे लिये बड़ी समस्या हो गयी थी. रात भर सरिता का चेहरा सामने आता रहा , मैं उसे बयान करूं तो उसकी खूबसूरती कम हो जाएगी . मुझे मेरी हर कल्पना में वो वहीं बैठी दिखती थी बहते झरने में अपलक स्थिरता तलाशती हुई. माफ करना पर मुझे उससे जितना प्रेम था उसे मैं कभी शब्दों में नहीं ढाल सकता.
अगले दिन मैंने सरिता को सब बताया . उसने कहा , नीलेश तुम एक अच्छे इंसान हो और मुझे तुमसे प्रेम है. किसी भी दूसरे प्रेमी की तरह मैं भी यही चाहती हूं कि हम साथ रहें. तुम जिसे चाहो उसे चुन सकते हो. मेरा ह्रदय तुम्हारे लिये हमेशा ही सच्चा था और हमेशा रहेगा. तुम जिस भी सरिता को चुनो, उसे प्रेम जरूर करना.
बस इतना कहकर उसने मुझे गले लगा लिया.”
नीलेश इतना कहकर रुक गया.
“हां तो फिर आगे क्या हुआ, तुमने कौन सी सरिता को…”
मेरा सवाल अधूरा ही था कि दरवाजे पर दस्तक हुई.
“कौन?”
नीलेश ने पूछा
“अरे मैं हूं.”
“रुको आता हूं, सरिता.”
नीलेश मुस्कुराते हुए खड़ा हुआ और दरवाजे की तरफ चल पड़ा.